दैनिक सांध्य बन्धु इंदौर। इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड कॉरिडोर परियोजना के विरोध में बुधवार को किसानों ने प्रदर्शन किया। इंदौर और उज्जैन जिले के करीब 5 हजार किसान लगभग 1 हजार ट्रैक्टरों के काफिले के साथ हातोद और आसपास के गांवों से इंदौर पहुंचे। किसानों ने कॉरिडोर परियोजना को निरस्त करने, सोयाबीन की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने और मुआवजा दर बढ़ाने की मांग की।
धरना-प्रदर्शन के दौरान धार रोड पर करीब 2 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। वाहनों की कतारें लग गईं और आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
कलेक्ट्रेट जाने से पहले ही रोका गया काफिला
किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ कलेक्ट्रेट तक रैली निकालना चाहते थे, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने उन्हें नूरानी नगर के पास ही रोक दिया। रैली में करणी सेना परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीवन सिंह शेरपुर भी शामिल हुए। उन्होंने किसानों से कहा कि “चुनाव के समय नेताओं को गांवों में घुसने न दें, जब तक किसान हित की बातें लागू नहीं होतीं।” इसके बाद किसानों ने एडीएम रोशन रॉय को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें रखीं और प्रदर्शन समाप्त किया।
ग्रीन फील्ड कॉरिडोर से 28 गांव होंगे प्रभावित
किसानों का कहना है कि इस परियोजना से इंदौर की सांवेर और हातोद तहसीलों के 20 गांव और उज्जैन जिले के 8 गांव प्रभावित हो रहे हैं। कुल 188 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन इस योजना की जद में है। कई किसानों की पूरी जमीन परियोजना में चली जाएगी, जबकि कुछ की जमीन के बीच से सड़क गुजरेगी।
‘बिना सर्वे के लागू की गई योजना’ — किसान नेता
किसान नेता बबलू जाधव ने कहा कि सरकार ने बिना पर्याप्त सर्वे और आकलन के यह योजना लागू कर दी है, जिससे किसानों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार 2028 के सिंहस्थ को ध्यान में रखकर सड़क बनाना चाहती है, जबकि पहले से ही उज्जैन तक कई मार्ग मौजूद हैं जिन्हें चौड़ा किया जा सकता है।
मुआवजा दरों और फसलों के दामों पर भी नाराजगी
किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा घोषित मुआवजा दरें जमीन के बाजार मूल्य से काफी कम हैं। कांकरिया के किसान वीरेंद्र चौहान ने बताया कि “गाइडलाइन में दोगुना मुआवजा देने की बात कही जा रही है, जबकि जमीन की वास्तविक कीमत पांच गुना बढ़ चुकी है। हमें कहीं आसपास वैकल्पिक जमीन भी नहीं मिल रही।