दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। दीपावली के दूसरे दिन जबलपुर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। यादव (ग्वाल) समाज के लोग इस दिन विशेष जड़ी-बूटी ‘मवरी’ के माध्यम से घर-घर जाकर झाड़-फूंक करते हैं, जिससे लोगों को भूत-प्रेत, नजर दोष और बीमारियों से मुक्ति दिलाई जाती है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और आज भी पाटन क्षेत्र के कई गांवों में पूरी आस्था के साथ निभाई जाती है।
दशहरे से होती है तैयारी
गांव के लोग दशहरे के दिन जंगल से 'मवरी' नाम की एक विशेष जड़ी लाते हैं। इसे घर लाकर सिद्ध किया जाता है और दीपावली के अगले दिन, जिसे परमा या पड़वा कहा जाता है, एक लकड़ी में बांधकर इसका उपयोग झाड़-फूंक के लिए किया जाता है।
क्या होता है प्रक्रिया में?
-
झाड़-फूंक करने वाले लोग हर घर जाते हैं और लोगों के ऊपर से यह जड़ी घुमाते हैं।
-
मान्यता है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और अज्ञात बाधाएं दूर होती हैं।
-
इसके बदले में ग्रामीण लोग उन्हें अनाज, कपड़े या धन का दान देते हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
पाटन क्षेत्र के मंगल यादव बताते हैं, "यह परंपरा हमारे पूर्वजों के जमाने से चली आ रही है। जड़ी का उपयोग कई बार बुखार और दूसरी समस्याओं में भी कारगर होता है।"
स्थानीय महिला लक्ष्मी बबेले का मानना है कि इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है और बच्चों की तबीयत भी ठीक रहती है।
हालांकि इस परंपरा के पीछे कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, फिर भी ग्रामीण क्षेत्रों में यह आस्था का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि शारीरिक या मानसिक बीमारी के मामलों में झाड़-फूंक के भरोसे रहना उचित नहीं, बल्कि समय पर योग्य डॉक्टर से इलाज कराना जरूरी है।


