दैनिक सांध्य बन्धु (एजेंसी) गुवाहाटी। भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ गुवाहाटी टेस्ट में 408 रनों से करारी हार मिली, जो रनों के लिहाज से टीम की अब तक की सबसे बड़ी टेस्ट हार बन गई। इसके साथ ही टीम इंडिया 13 महीने में दूसरी बार अपने ही घर में क्लीन स्वीप का सामना कर चुकी है। हार के बाद टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर मीडिया के सामने आए और पूरी जिम्मेदारी ली।
गंभीर ने कहा कि हार की शुरुआत कोच से होती है और किसी एक खिलाड़ी को दोष देना सही नहीं। उन्होंने कहा— "मेरे भविष्य का फैसला BCCI करेगा। यह मत भूलिए कि मैंने ही इंग्लैंड में नतीजे दिए और चैंपियंस ट्रॉफी जिताई।"
गंभीर की कोचिंग में भारत ने अब तक 19 में से 10 टेस्ट मैच गंवाए हैं। पिछले साल न्यूजीलैंड ने भारत को 3-0 से और इस बार दक्षिण अफ्रीका ने 2-0 से क्लीन स्वीप किया। टीम चयन, बैटिंग ऑर्डर में लगातार बदलाव और ऑलराउंडर्स पर अधिक भरोसे को लेकर उनकी रणनीति सवालों के घेरे में है।
इस हार के बाद गंभीर की अप्रोच को लेकर पूर्व खिलाड़ियों ने भी नाराजगी जताई।
अनिल कुंबले ने कहा कि टेस्ट क्रिकेट में इतनी ज्यादा chopping & changing नहीं चल सकती। उन्होंने स्थिरता की जरूरत पर जोर दिया।
वहीं वेंकटेश प्रसाद ने ऑलराउंडर्स के “जुनून” को हार की वजह बताते हुए कहा कि टीम की रणनीति, स्किल और बॉडी लैंग्वेज सब कुछ बेहद कमजोर दिखी।
गंभीर की कोचिंग पर सवाल खड़े करने के पीछे चार बड़ी वजहें सामने आई हैं— टीम में केवल तीन स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों का खेलना, बैटिंग ऑर्डर में लगातार प्रयोग, स्ट्राइक फिंगर स्पिनर की कमी और जिन ऑलराउंडर्स पर भरोसा किया जा रहा है, उनका बेअसर साबित होना।
भारत दोनों टेस्ट में केवल तीन स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों के साथ उतरा और निचला मध्यक्रम लगातार फ्लॉप रहा। नंबर-3 और नंबर-5 की पोजिशन बार-बार बदलने से बल्लेबाजों में कंफ्यूजन बढ़ा है। अश्विन के रिटायरमेंट के बाद टीम में स्ट्राइक ऑफ स्पिनर की कमी साफ दिख रही है, जबकि सुंदर और अक्षर जैसे ऑलराउंडर्स लगातार विकेट लेने में विफल रहे हैं।
परेशानी बढ़ाने वाली बात यह है कि जडेजा भी एशियन कंडीशन में पुरानी धार नहीं दिखा पा रहे और नीतीश रेड्डी जैसे खिलाड़ियों को इंडियन कंडीशन में प्लेइंग-11 में शामिल करने का कोई ठोस कारण नजर नहीं आता।
लगातार दो घरेलू सीरीज में व्हाइटवॉश होने के बाद अब सवाल यह है कि BCCI गंभीर की कोचिंग पर क्या फैसला लेती है। टीम इंडिया अगले चक्र में बड़े टूर्नामेंट की तैयारी में जुटेगी और ऐसे में कोचिंग अप्रोच में बड़े बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है।