National News: धार्मिक आदेश न मानने पर बर्खास्त आर्मी अफसर की याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट बोला—“आप सेना के लायक नहीं”

दैनिक सांध्य बन्धु (एजेंसी) नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भारतीय सेना के एक पूर्व ईसाई अफसर की बर्खास्तगी को सही ठहराते हुए उसकी याचिका खारिज कर दी। 3rd कैवेलरी रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट रहे सैमुअल कमलेसन को रेजिमेंट की धार्मिक परेड और गतिविधियों में शामिल होने से इनकार करने पर 2022 में सेना से बर्खास्त किया गया था। कमलेसन का कहना था कि ईसाई धर्म के अनुसार वे मंदिर के अंदर जाकर पूजा या आरती में शामिल नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने सिर्फ गर्भगृह में प्रवेश करने से मना किया था।

मामला 2017 में शुरू हुआ था, जब कमलेसन ने अपनी यूनिट में हर हफ्ते होने वाली धार्मिक परेड में पूरी तरह शामिल होने से इंकार किया। सेना ने कहा कि अफसर को किसी पूजा-अर्चना में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया गया था, बल्कि उन्हें केवल सैनिकों के साथ उपस्थित रहना था। इसके बावजूद वे आदेशों का पालन नहीं करते थे। सेना की जांच और सुनवाई के बाद उन्हें अनुशासनहीनता का दोषी पाया गया और सेवा से हटाया गया।

चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने कमलेसन को सेना के लिए ‘मिसफिट’ बताते हुए कहा कि उनका व्यवहार गंभीर अनुशासनहीनता है, जिसे सेना में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। सुनवाई के दौरान CJI ने टिप्पणी की—“आप अपने जवानों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान नहीं कर सके, यह इंडियन आर्मी है जहां सेक्युलरिज्म सबसे ऊपर है। इस तरह के अफसर को तुरंत हटाया जाना चाहिए।” जस्टिस बागची ने कहा कि ईसाई धर्म में मंदिर में प्रवेश करना प्रतिबंधित नहीं है और अफसर अपने निजी धार्मिक विचारों को यूनिफॉर्म से ऊपर नहीं रख सकते।

अफसर के वकील ने सजा कम करने की मांग की, लेकिन अदालत ने साफ कहा कि बाकी रिकॉर्ड अच्छा होने के बावजूद यह गलती इतनी गंभीर है कि इसमें राहत नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को भी बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि कमलेसन ने सेना के आदेश से ऊपर अपने धर्म को रखा, जिससे रेजिमेंट की एकजुटता और अनुशासन प्रभावित हुआ।

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