दैनिक सांध्य बन्धु बालाघाट। बालाघाट जिले में नक्सल इतिहास में पहली बार 10 हार्डकोर नक्सलियों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने हथियार डालकर आत्मसमर्पण किया। इस समूह में 62 लाख रुपए का इनामी कुख्यात नक्सली सुरेंद्र उर्फ कबीर भी शामिल है। आत्मसमर्पण करने वाले इन सभी नक्सलियों पर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में कुल 2 करोड़ 36 लाख रुपए का इनाम घोषित था। इनमें चार महिला और छह पुरुष नक्सली शामिल हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस मौके पर कहा कि बालाघाट जोन में वर्ष 2025 में अब तक 10 हार्डकोर नक्सली मारे जा चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों का सरकार पुनर्वास करेगी और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा, लेकिन किसी भी हाल में उन्हें दोबारा हथियार उठाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद
सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने पुलिस के सामने दो AK-47, दो इंसास राइफल, एक एसएलआर, दो एसएसआर, सात बीजीएल सेल, चार वॉकी-टॉकी और बड़ी संख्या में जिंदा कारतूस सौंपे। पुलिस के अनुसार यह आत्मसमर्पण प्रदेश की नक्सल आत्मसमर्पण नीति और सुरक्षाबलों के लगातार अभियानों का प्रत्यक्ष परिणाम है।
ग्रामीणों और वनकर्मियों की अहम भूमिका
इस पूरे घटनाक्रम में वनकर्मी गुलाब उईके और स्थानीय ग्रामीणों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वनकर्मी के अनुसार नक्सलियों ने स्वयं संपर्क किया, जिसके बाद उन्हें वाहन से बालाघाट लाया गया। ग्रामीणों के सहयोग की कमी और बढ़ते दबाव के चलते नक्सलियों ने आत्मसमर्पण का फैसला किया।
सुरक्षाबलों के दबाव से टूटी नक्सली हिंसा
पुलिस सूत्रों के मुताबिक मार्च 2026 तक नक्सलियों के पूरी तरह खात्मे की समय-सीमा तय होने और जंगलों में सुरक्षा बलों की सक्रियता बढ़ने से नक्सली संगठन कमजोर पड़ रहे हैं। इसी दबाव में शनिवार देर रात लांजी के छत्तीसगढ़ सीमा से लगे माहिरखुदरा क्षेत्र में मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने हिंसा छोड़कर सरेंडर का रास्ता चुना।
