Jabalpur News: 20 वर्षीय युवती के पेट से निकला 22 किलो का ट्यूमर

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर।
जबलपुर में डॉक्टरों ने एक असाधारण और चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देकर 20 वर्षीय युवती की जान बचाई है। आदिवासी बहुल सिहोरा विधानसभा क्षेत्र की रहने वाली आसनी गोंड (20) के पेट में पिछले छह महीनों से लगातार बढ़ रहा 22 किलो वजनी विशाल ट्यूमर पाया गया, जिसे निजी अस्पताल तिलवारा में सफल ऑपरेशन के जरिए निकाला गया। ऑपरेशन के बाद युवती की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है।

परिजनों के अनुसार युवती को पिछले छह महीनों से पेट में तेज दर्द और सूजन की शिकायत थी। समय के साथ दर्द बढ़ता गया और पेट का आकार भी असामान्य रूप से बढ़ने लगा। शुरुआती दौर में स्थानीय डॉक्टरों और फिर कुडंम अस्पताल में इलाज कराया गया, लेकिन केवल दर्द की दवाएं देकर वापस भेज दिया गया, जिससे कोई राहत नहीं मिली। आखिरकार 15 दिसंबर को परिजन उसे जबलपुर के निजी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां 20 दिसंबर को ऑपरेशन किया गया।

अस्पताल में सीटी स्कैन जांच के दौरान सामने आया कि युवती के पेट में लगभग 22 किलो वजन का विशाल ट्यूमर मौजूद है, जो लगातार बढ़ रहा था और पूरे पेट पर कब्जा कर चुका था। परिवार की सहमति के बाद डॉ. अर्जुन सक्सेना ने एनेस्थीसिया टीम और अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों के साथ मिलकर जटिल सर्जरी की। पेट में बड़ा चीरा लगाकर ट्यूमर को बाहर निकाला गया, जो आंत की झिल्ली और कई महत्वपूर्ण नसों से चिपका हुआ था। ट्यूमर के अत्यधिक वजन के कारण उसे निकालने में दो अतिरिक्त डॉक्टरों की मदद लेनी पड़ी।

डॉक्टरों के अनुसार प्री-ऑपरेटिव इमेजिंग से पता चला कि ट्यूमर बाएं डायफ्राम को पार कर पूरे ऊपरी पेट में फैल चुका था। वह प्रमुख रक्त वाहिकाओं और अंगों को दबा रहा था, वहीं किडनी को नीचे की ओर खींचकर उसकी सामान्य स्थिति भी बदल चुका था।

करीब तीन से चार घंटे तक चले इस ऑपरेशन में सर्जनों ने स्प्लीन, किडनी, पेट, डुओडेनम, पैंक्रियास, आंत और कोलन को सुरक्षित रखते हुए उन्हें उनके सामान्य स्थान पर पुनः स्थापित किया। ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा। डॉ. सक्सेना ने बताया कि इतनी कम उम्र में इतने बड़े ट्यूमर का पाया जाना बेहद दुर्लभ है।

ऑपरेशन के बाद युवती को आईसीयू में रखा गया, जहां उसकी स्थिति में लगातार सुधार हो रहा है। इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया। परिजनों ने बताया कि ऑपरेशन से पहले युवती की हालत बेहद खराब थी और उठने-बैठने व सोने तक में असहनीय दर्द होता था, जबकि अब दर्द काफी कम हो गया है और केवल हल्का भारीपन महसूस हो रहा है।

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