इस मामले की शुरुआत भानु प्रताप प्रसाद की गिरफ्तारी से हुई थी, जो 2023 में बढ़गांव क्षेत्र के भूमि राजस्व निरीक्षक थे। प्रसाद पर जमीन के कागजात में हेराफेरी करने और एक जमीन हड़पने वाले सिंडिकेट का हिस्सा होने का आरोप था। प्रसाद के फोन में उस जमीन की तस्वीर मिली, जो कथित तौर पर हेमंत सोरेन के अवैध कब्जे में थी।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तर्क दिया कि सोरेन एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और जेल से बाहर रहने पर सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए, ED ने उनकी जमानत याचिका का विरोध किया। दूसरी ओर, हेमंत सोरेन के वकील ने कहा कि उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है।
सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने पहले खारिज कर दिया था। 31 जनवरी को, ED की टीम ने रांची स्थित उनके आवास पर छापा मारा और उनसे कई घंटों तक पूछताछ की। गिरफ्तारी से पहले सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
यह मामला राजनीतिक और कानूनी दायरों में काफी चर्चा में रहा है, और हेमंत सोरेन की जमानत मिलने के बाद इसे एक नया मोड़ मिला है।