Jabalpur News: पुलिस कोर्ट में अर्जी देने वाली है कि डबल मर्डर केस की नाबालिग आरोपी को बालिग मानकर मुकदमा चलाया जाए

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर।पुलिस ने कोर्ट में आवेदन देने की तैयारी की है जिसमें वे एक डबल मर्डर केस की नाबालिग आरोपी को बालिग मानकर मुकदमा चलाने की मांग करेंगे। रेलवे अधिकारी राजकुमार विश्वकर्मा की नाबालिग बेटी ने अपने पिता और 8 साल के भाई तनिष्क की 15 मार्च को हत्या की थी और उसके बाद अपने प्रेमी मुकुल सिंह के साथ फरार हो गई थी।

75 दिन बाद, 29 मई को पुलिस ने नाबालिग को हरिद्वार से अभिरक्षा में लेकर जबलपुर पहुंचाया। दो दिन बाद, मुकुल सिंह ने थाने में आत्मसमर्पण कर दिया। पूछताछ के बाद, नाबालिग को शहडोल के बाल सुधार गृह भेज दिया गया और मुकुल सिंह को न्यायिक हिरासत में रखा गया। पुलिस के मुताबिक, नाबालिग लड़की की उम्र 17 साल 3 महीने है, लेकिन उसने हत्या की वारदात को अंजाम देने में मुकुल सिंह की पूरी मदद की है।

कैसे नाबालिग साजिश में शामिल थी: 5 प्रमुख बिंदु

1.योजना की शुरुआत: हत्या से दो दिन पहले, नाबालिग और मुकुल की मुलाकात हुई और उन्होंने हत्या की योजना बनाई।
2. डेली रूटीन की जानकारी: नाबालिग ने मुकुल को अपने पिता के दैनिक रूटीन की जानकारी दी जिससे मुकुल ने हत्या की योजना बनाई।

3. घर में प्रवेश: 14 मार्च की रात, नाबालिग ने घर का पिछला दरवाजा खोलकर मुकुल को घर में एंट्री दिलाई।

4. हमला: सुबह मुकुल ने पहले राजकुमार और फिर तनिष्क पर हमला किया। नाबालिग ने मुकुल को कुल्हाड़ी लाकर दी जिससे तनिष्क की हत्या की गई।

5. साक्ष्य मिटाने की कोशिश: हत्या के बाद, नाबालिग ने दूध वाला आने पर दरवाजा खोलकर दूध लिया और दरवाजा बंद कर दिया।

विशेषज्ञों की राय: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का परीक्षण

जबलपुर हाईकोर्ट के एडवोकेट विशाल बघेल के अनुसार, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 में संशोधन के बाद, 16 वर्ष या उससे अधिक उम्र के किशोर को जघन्य अपराध करने पर बालिग मानकर मुकदमा चलाया जा सकता है। यह निर्णय जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड करता है जो नाबालिग की मानसिक स्थिति का परीक्षण करता है।
पिछले मामलों का संदर्भ

2017 में झाबुआ में कोर्ट ने दो नाबालिगों को बालिग मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। दोनों नाइट्रावेट का नशा करते थे और एक छात्र की हत्या की थी।

NCRB 2022 की रिपोर्ट

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2022 में बाल अपराधियों द्वारा किए गए अपराध के मामले में मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है। महाराष्ट्र में 4406 और मध्य प्रदेश में 3795 मामले दर्ज हुए। हालांकि, 2021 की तुलना में ऐसे अपराधों में 33 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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