पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सेनाओं का डी-एस्केलेशन: गलवान जैसी झड़प रोकने के लिए नया पेट्रोलिंग समझौता

दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं ने 25 अक्टूबर से सीमा से पीछे हटना शुरू कर दिया है। डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट, वाहन, और मिलिट्री उपकरण हटा लिए हैं। यह प्रक्रिया 28 और 29 अक्टूबर तक पूरी हो जाएगी, जिससे सेनाएं अप्रैल 2020 की पूर्व स्थिति में लौट आएंगी।

दोनों देशों ने हाल ही में एक पेट्रोलिंग समझौता किया है, जिसके तहत गलवान जैसी झड़प को टालने के लिए सैनिक सीमित संख्या में ही गश्त करेंगे और तयशुदा दिनों पर पेट्रोलिंग करेंगे। देपसांग के पेट्रोलिंग पॉइंट्स 10, 11, 11-A, 12, और 13 तक भारतीय सैनिक जा सकेंगे, जबकि डेमचोक के कुछ क्षेत्रों में फिलहाल बफर जोन बनाए गए हैं, जहां सेनाएं आमने-सामने नहीं होंगी।

2020 की गलवान घाटी झड़प के बाद सीमा पर तनाव चरम पर था। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कड़ी तैनाती रही। हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की, जिसमें सीमा विवाद पर शांति बहाल करने और पुराने समझौतों का सम्मान करने पर सहमति बनी।

समझौते के मुख्य बिंदु

1. पेट्रोलिंग सीमाएं: नए समझौते में सीमित गश्त का नियम लागू किया गया है और बफर जोन बनाए गए हैं।

2. पूर्व स्थिति बहाली: अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति के अनुसार, सेनाएं अपने पुराने स्थानों पर लौटेंगी।

3. नए प्रोटोकॉल: दोनों सेनाएं पेट्रोलिंग के समय एक-दूसरे को सूचित करेंगी ताकि तनाव कम हो सके।

इस समझौते के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर शांति कायम होगी और भविष्य में गलवान जैसी घटनाओं को टाला जा सकेगा।

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