दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। संस्कारधानी में दशहरा का पर्व कौमी एकता की अनोखी मिसाल पेश करता है। बीते 72 सालों से मक्का नगर के इफ्तिखार आलम और उनका मुस्लिम परिवार रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाने का काम कर रहा है। इफ्तिखार के दादा हाजी शेख आलम ने इस परंपरा की शुरुआत की थी, जिसे अब उनकी चौथी पीढ़ी भी आगे बढ़ा रही है।हर साल जबलपुर के विभिन्न इलाकों में 45 से 75 फीट ऊंचे पुतले जलाए जाते हैं, जिनका निर्माण आलम परिवार करता है। इफ्तिखार का कहना है कि वे यह काम पैसों के लिए नहीं, बल्कि अपने बुजुर्गों की परंपरा निभाने और समाज में प्रेम व एकता का संदेश देने के लिए करते हैं। उनके साथ परिवार के अन्य सदस्य भी नि:शुल्क इस कार्य में सहयोग करते हैं।हालांकि, उनका पेशा स्टील और फर्नीचर का व्यापार है, लेकिन दशहरा पर पुतले बनाना उनके लिए सदियों पुरानी परंपरा और सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक है।
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