Jabalpur News: अवैध खनन रोकने की जिम्मेदारी अब एआई को मिलेगी, जिले में 3 स्थानों पर बने ई नाके

File Photo
दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर जिले में रेत के अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए खनिज विभाग अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सहारा लेगा। इस उद्देश्य को साकार करने के लिए जिले में तीन ई-नाके (ई-चेक पोस्ट) लगाए जा रहे हैं, जिन्हें एआई तकनीक से संचालित किया जाएगा। यह पहल अवैध खनन और परिवहन के खिलाफ खनिज विभाग की ओर से उठाया गया एक बड़ा कदम है।

इन ई-नाकों में हाई रिजोल्यूशन वाले कैमरे लगाए जाएंगे, जो खनिज ठेकेदारों और वाहन मालिकों की पहचान करेंगे। इन कैमरों के माध्यम से वाहनों की जानकारी एकत्रित की जाएगी और यह डेटा सीधे जबलपुर और भोपाल स्थित वन कमांड सेंटर में भेजा जाएगा। यहां यह जानकारी रीयल-टाइम में प्राप्त होगी, जिससे अधिकारियों को हर वाहन की गतिविधियों का ट्रैक रखने में मदद मिलेगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि इन नाकों पर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की तैनाती नहीं की जाएगी, बल्कि पूरी प्रक्रिया एआई द्वारा संचालित होगी।

जल्द होगा उद्घाटन

जबलपुर में जनवरी माह अंतिम सप्ताह तक इन तीनों ई-नाकों को सक्रिय किया जाएगा। इसके लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान पहले ही कर ली गई है। दो ई-नाके राष्ट्रीय राजमार्ग पर तिलवारा और सिहोरा में लगाए जाएंगे, जबकि तीसरा नाका एमपीआरडीसी के मुख्य मार्ग पर स्थित होगा। इन नाकों को स्थापित करने का कार्य दिसंबर तक पूरा कर लिया गया था।

नए सिस्टम के तहत क्या होगा?

तीन नए ई-चेक नाके राष्ट्रीय राजमार्ग और एमपीआरडीसी रोड पर स्थापित किए जाएंगे। इन नाकों पर लगाए गए हाई रिजोल्यूशन कैमरे प्रत्येक खनिज परिवहन करने वाले वाहन की जांच करेंगे। ई-चेक गेट से प्राप्त जानकारी को तुरंत जबलपुर और भोपाल स्थित कमांड सेंटर में भेजा जाएगा। इसके बाद यदि किसी वाहन में कोई अनियमितता पाई जाती है, तो संबंधित वाहन चालक और खनिज ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

खनिज और परिवहन विभाग का संयुक्त प्रयास

खनिज विभाग और परिवहन विभाग मिलकर इस कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए काम करेंगे। परिवहन विभाग जल्द ही खनिज वाहनों में लगे बार-कोड की जांच करेगा। अगर किसी वाहन में बार-कोड नहीं होगा, तो उसे नया बार-कोड दिया जाएगा, ताकि ई-नाके पर लगे स्कैनर की मदद से इन वाहनों की पहचान की जा सके।

यह आती थी समस्याएं

एक बड़ी चुनौती यह है कि अधिकांश खनिज परिवहन करने वाले वाहनों में बार-कोड की व्यवस्था नहीं है। कई वाहन मालिकों ने इसे निकाल लिया है, जिससे ई-चेक नाकों पर लगे स्कैनर से वाहन की पहचान में समस्या उत्पन्न हो रही है। इस कारण अवैध खनन पर नियंत्रण पाने के लिए खनिज विभाग के अब तक किए गए प्रयास नाकाफी साबित हुए थे। हालांकि, अब एआई के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान निकलने की उम्मीद है। वहीं खनिज विभाग के नाकों में तैनात कर्मचारियों की संलिप्तता की वजह से अवैध खनन और परिवहन की घटनाओं में वृद्धि हुई है। 

अधिकतर समय वाहनों की जांच ठीक से नहीं हो पाती और इसका फायदा अवैध परिवहन करने वाले वाहन चालक उठाते हैं। कटंगी, पाटन, अंधमुख, महाराजपुर और चूल्हाकोलाई जैसे इलाकों से सबसे अधिक अवैध खनिज परिवहन हो रहा है। जब खनिज विभाग की टीम मौके पर पहुंचती है, तो पहले ही इन वाहन चालकों को जानकारी मिल जाती है और वे फरार हो जाते हैं। लेकिन एआई की मदद से ई-नाके पर की जा रही निगरानी से इन सब घटनाओं पर प्रभावी रोक लगने की संभावना है। 

Post a Comment

Previous Post Next Post