दैनिक सांध्य बन्धु अलवर। मेवात क्षेत्र में अवैध हथियारों की तस्करी धड़ल्ले से जारी है। हथियार तस्कर मोबाइल कॉल पर सौदेबाजी करते हैं और ग्राहकों को हथियारों के फोटो तक भेजते हैं। सौदा तय होने के बाद ग्राहकों को बुलाकर या उनके बताए स्थान पर हथियारों की सप्लाई की जाती है। हैरानी की बात यह है कि पुलिस को इस पूरे नेटवर्क की जानकारी होने के बावजूद कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया जा रहा।
जब एक हथियार तस्कर से बातचीत की गई तो कॉल पर तस्कर ने बताया कि 10 हजार रुपये में देसी कट्टा और 35 हजार में पिस्टल मिलेगी। साथ ही उसने भरोसा दिलाया कि "पूरी गारंटी है, एक नंबर चीज दूंगा।"
अवैध हथियारों का गढ़ बने अलवर और भरतपुर
अलवर के रामगढ़, गोविंदगढ़, नौगांवा, बड़ाैदामेव और खैरथल-तिजारा समेत कई इलाकों में अवैध हथियार बनाए जा रहे हैं। 315 बोर के कट्टे और 32 बोर की पिस्टल यहां तैयार की जा रही हैं, जिन्हें आसपास के अपराधियों को बेचा जा रहा है।
हरियाणा, यूपी और एमपी से भी हो रही सप्लाई
राजस्थान के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार से भी हथियारों की तस्करी हो रही है। हरियाणा के नूंह, झिरका, पलवल और यूपी के मथुरा, अलीगढ़, प्रयागराज समेत कई इलाकों से तस्कर हथियार ला रहे हैं।
अलवर में क्यों बढ़ रहा अपराध?
राजस्थान-हरियाणा बॉर्डर पर स्थित अलवर अपराध की दृष्टि से संवेदनशील बना हुआ है। हर साल यहां 25 हजार से ज्यादा अपराध दर्ज होते हैं, जिनमें हत्या, लूट, डकैती और गैंगवार जैसी वारदातें शामिल हैं। अपराधी इन घटनाओं को अंजाम देने के लिए अवैध हथियारों का सहारा ले रहे हैं।
पुलिस की चुप्पी पर सवाल
इस पूरे अवैध नेटवर्क के बावजूद पुलिस की कार्रवाई न के बराबर है। सूत्रों की मानें तो पुलिस और तस्करों के बीच मिलीभगत के चलते यह कारोबार बिना किसी डर के फल-फूल रहा है। सवाल यह है कि आखिर कब तक प्रशासन अपराधियों को यूं ही हथियारों की सौदेबाजी करने देगा?