दैनिक सांध्य बन्धु मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने मराठी भाषा को अनिवार्य करने के लिए बड़ा फैसला लिया है। सरकार द्वारा जारी नए शासनादेश (जीआर) के अनुसार, राज्य के सभी सरकारी, अर्ध-सरकारी, स्थानीय स्वशासन निकायों, मंडियों और सरकारी सहायता प्राप्त कार्यालयों में आगंतुकों (राज्य के बाहर से आने वाले गैर-मराठी लोगों को छोड़कर) से मराठी में संवाद करना अनिवार्य होगा। मराठी का उपयोग न करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
मराठी भाषा नीति का सख्ती से पालन होगा
राज्य सरकार ने यह फैसला मराठी भाषा नीति को लागू करने के उद्देश्य से लिया है। नियोजन विभाग द्वारा सोमवार को जारी शासनादेश के अनुसार, कार्यालयों में मराठी में बातचीत न करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की शिकायत संबंधित कार्यालय प्रमुख या विभाग प्रमुख से की जा सकती है। यदि जांच में कर्मचारी दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
केंद्र के कार्यालयों में भी मराठी का उपयोग अनिवार्य
केंद्र सरकार के त्रिभाषा फार्मूले के तहत, महाराष्ट्र में केंद्र सरकार के सभी कार्यालयों और बैंकों के सामने नोटिस बोर्ड, अधिकारियों के नाम-पट्टिकाएं और आवेदन-पत्र मराठी भाषा में होने अनिवार्य होंगे।
विज्ञापन और टेंडर नोटिस भी मराठी में होंगे जारी
महाराष्ट्र सरकार की कंपनियों, निगमों, बोर्ड और अर्ध-सरकारी संस्थानों द्वारा जारी सभी विज्ञापन और टेंडर नोटिस केवल मराठी भाषा में प्रकाशित किए जाएंगे। इसके अलावा, सरकारी और अर्ध-सरकारी प्रतिष्ठानों के नाम भी केवल मराठी में ही रखे जाएंगे और उनका अंग्रेजी अनुवाद नहीं किया जाएगा।
मराठी भाषा को बढ़ावा देने की नई नीति
मराठी भाषा के महत्व को बनाए रखने और उसे प्राथमिकता देने के लिए जिला स्तर पर मराठी भाषा नीति को लागू करने की जिम्मेदारी जिला स्तरीय मराठी भाषा समिति को सौंपी गई है।