दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण दिलाने की लड़ाई एक बार फिर तेज होती नजर आ रही है। इस मुद्दे पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा सरकार और राज्य के महाधिवक्ता पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले को सरकार जानबूझकर उलझा रही है, जबकि कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि ओबीसी आरक्षण पर कोई कानूनी रोक नहीं है।
पटवारी ने कहा कि कमलनाथ सरकार ने 15 महीने के कार्यकाल में ओबीसी आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% किया था और इसे पहले अध्यादेश और फिर विधायिका के माध्यम से लागू किया गया। लेकिन भाजपा सरकार ने इसे रोकने की साजिश की और कोर्ट का बहाना बनाकर क्रियान्वयन नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने कुछ भर्तियों में दिखावे के तौर पर 27% आरक्षण दिया, लेकिन बाद में वही नियुक्तियां रोक दी गईं।
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह को घेरते हुए पटवारी ने कहा कि उन्होंने सरकार के इशारे पर करोड़ों रुपये फीस लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला उलझाया और ओबीसी वर्ग के अधिकारों को कुचला। उन्होंने नर्सिंग घोटाले में भी प्रशांत सिंह पर करोड़ों की अनियमितता का आरोप लगाते हुए लोकायुक्त में शिकायत करने की बात कही।
जातिगत जनगणना को सामाजिक न्याय की नींव बताते हुए पटवारी ने कहा कि “जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” सिद्धांत पर अमल होना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि 20 से अधिक युवा नियुक्तियों के इंतजार में आत्महत्या कर चुके हैं।
पटवारी ने चेतावनी दी कि यदि 27% आरक्षण को तत्काल प्रभाव से लागू नहीं किया गया, तो ओबीसी महासभा पूरे प्रदेश में जन-जागरण अभियान चलाएगी। उन्होंने सरकार से मांग की कि कोर्ट के नाम पर ओबीसी वर्ग को गुमराह करना बंद करे और जनता के पैसों से वकीलों को भारी फीस देकर आरक्षण रोकने का षड्यंत्र तत्काल बंद हो।