दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश में पैरामेडिकल शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य के सभी पैरामेडिकल कॉलेजों की मान्यता प्रक्रिया और एडमिशन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह आदेश न सिर्फ पूरे शिक्षा विभाग के कामकाज पर सवाल उठाता है, बल्कि प्रदेश में शिक्षा के नाम पर चल रहे कारोबारी गठजोड़ को भी उजागर करता है।
यह फैसला उस समय आया जब कोर्ट में बहुचर्चित नर्सिंग घोटाले से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही थी। इसी दौरान लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन द्वारा एक अतिरिक्त आवेदन दायर किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि जिस तरह नर्सिंग कॉलेजों में बिना नियमों के मान्यता दी गई थी, वैसा ही खेल अब पैरामेडिकल संस्थानों में भी हो रहा है।
बैकडेट में बांटी गई मान्यताएं, बिना एनरोलमेंट मिल रहा दाखिला
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कई कॉलेजों को वर्ष 2023 के लिए मान्यता बैकडेट में दी जा रही थी। मेडिकल यूनिवर्सिटी में छात्रों का एनरोलमेंट तक नहीं हुआ, फिर भी दाखिले दे दिए गए। यह गंभीर अनियमितता किसी तकनीकी खामी की नहीं, बल्कि सुनियोजित भ्रष्ट तंत्र की ओर इशारा करती है।
सीबीआई से अनसूटेबल बताई गई इमारतों में चल रहे कॉलेज
आवेदन में यह चौंकाने वाला तथ्य भी सामने आया कि जिन कॉलेज भवनों को नर्सिंग घोटाले की जांच में सीबीआई ने "अनसूटेबल" बताया था, उन्हीं भवनों में अब पैरामेडिकल कॉलेज संचालित हो रहे हैं और उन्हें बिना निरीक्षण के ही मान्यता भी दी जा रही है।
पैरामेडिकल काउंसिल की भूमिका संदेह के घेरे में
एमपी पैरामेडिकल काउंसिल द्वारा सत्र 2023-24 व 2024-25 के लिए बिना किसी भौतिक निरीक्षण या मूल्यांकन के मनमाने तरीके से मान्यता बांटी गई। सवाल यह है कि क्या यह निर्णय प्रशासनिक लापरवाही है या फिर इससे भी गहरी कोई साठगांठ?
हाईकोर्ट का स्वत: संज्ञान, जिम्मेदारों को बनाया पक्षकार
हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वत: संज्ञान लिया है और याचिकाकर्ता के आवेदन को अलग जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही मध्यप्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल के चेयरमैन व रजिस्ट्रार को भी इस मामले में प्रतिवादी बनाया गया है।
नर्सिंग घोटाले की कॉल रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासा
इधर, नर्सिंग कॉलेजों की फर्जी मान्यता से जुड़ी एक कॉल रिकॉर्डिंग भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इसमें कथित तौर पर ऑल इंडिया प्राइवेट नर्सिंग इंस्टीट्यूट एसोसिएशन के अध्यक्ष राम मिलन सिंह और एक निजी कॉलेज संचालक के बीच मान्यता के लिए "डील" की बातचीत सामने आई है। यह ऑडियो क्लिप उस भ्रष्टाचार की बानगी है, जिसे वर्षों से नजरअंदाज किया जा रहा है।
अगली सुनवाई 24 जुलाई को
हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई तय की है। उस दिन न सिर्फ पैरामेडिकल कॉलेजों से जुड़ी याचिकाएं सुनी जाएंगी, बल्कि नर्सिंग घोटाले की अन्य लंबित जनहित याचिकाओं पर भी सुनवाई होगी।