दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। नगर निगम की सीमा में आने के बावजूद परसवाड़ा बस्ती के रहवासियों की हालत मानो किसी उपेक्षित गांव जैसी हो गई है। गड्ढों से भरी टूटी सड़कें, न पानी की समुचित व्यवस्था, न बिजली, न ही स्ट्रीट लाइट इन बुनियादी सुविधाओं के अभाव में बस्ती के लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
आख़िरकार, आक्रोशित लोगों ने विरोध का ऐसा अनोखा तरीका चुना, जिसने हर आंख को झकझोर दिया।
झांझ-मंजीरे के साथ सड़कों पर बैठा गुस्सा
बरसात के पानी से भरे गड्ढों के बीच महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग और युवा झांझ-मंजीरे लेकर बैठ गए और "रघुपति राघव राजा राम, सबको सन्मति दे भगवान" गाकर शासन-प्रशासन से सन्मति की गुहार करने लगे। इस दौरान नारे भी लगे "टैक्स लिया, हक छिना", "सड़क दो, सम्मान दो"।
विकास के वादों की असलियत पर सवाल
बस्तीवासियों ने आरोप लगाया कि वे लंबे समय से प्रशासन का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। हैरानी की बात यह है कि यह क्षेत्र सत्ताधारी दल के दो विधायकों के अंतर्गत आता है, जिनमें से एक मंत्री भी हैं। फिर भी परसवाड़ा को योजनाबद्ध ढंग से विकास कार्यों से वंचित रखा गया है, जबकि आसपास के इलाकों में करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
बस्ती की सड़कों की हालत इतनी खराब है कि बारिश में घरों में पानी भर रहा है। बच्चे फिसलकर चोटिल हो रहे हैं। स्ट्रीट लाइटें न होने से रात का अंधेरा किसी जंगल जैसी स्थिति पैदा कर देता है।
बस्ती के लोगों का कहना है कि नगर निगम ने टैक्स वसूली में कोई कोताही नहीं की, लेकिन बदले में सुविधाओं के नाम पर उन्हें सिर्फ अंधेरा, कीचड़ और उपेक्षा मिली है।
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक बस्ती की हालत नहीं सुधरती, विरोध जारी रहेगा। उनका यह भी कहना है कि अगर जल्द सुनवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक सत्याग्रह या भूख हड़ताल का रास्ता भी चुन सकते हैं।