दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर।शहर के प्रतिष्ठित सेंट अलायसियस रिमझा स्कूल में पहली कक्षा की छात्रा आर्ची पांडे की संदिग्ध मौत ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है। स्कूल परिसर में खेल के दौरान घायल होने के बाद बच्ची की मौत हो गई, लेकिन अब यह हादसा एक गंभीर सवाल बनकर खड़ा हो गया है क्या यह सिर्फ एक दुर्घटना थी या लापरवाही और सिस्टम की चुप्पी ने एक मासूम की जान ले ली?
घटना की शुरुआत: खेल के दौरान गिरने का दावा
माढ़ोताल थाना क्षेत्र स्थित सेंट अलायसियस रिमझा स्कूल में हुई यह घटना तब सामने आई जब आर्ची पांडे स्कूल में खेल रही थी। स्कूल प्रबंधन के मुताबिक, वह खेलते वक्त गिर गई और घायल हो गई। तत्काल उसे अहिंसा चौक स्थित शैल्बी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
लेकिन घटनाक्रम में कई विरोधाभास हैं।
अभिभावकों का संदेह और दर्द
घटना के बाद अन्य बच्चों के अभिभावकों ने बताया कि आर्ची को बास्केटबॉल खेलते वक्त चीयर करने के लिए मैदान में ले जाया गया था, जहाँ उसे गेंद लगी और वह गिर गई। कुछ का दावा है कि हादसे की प्रकृति बेहद संदिग्ध थी और तत्काल इलाज में भी लापरवाही हुई।
बच्ची के पिता अरुण पांडे की पीड़ा शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि स्कूल की एक टीचर ने उन्हें सीधे अस्पताल बुलाया। वहां डॉक्टरों ने शुरुआत में कुछ भी गंभीर नहीं बताया। लेकिन देर रात 4 बजे उन्हें कॉल आया कि बेटी की हालत बिगड़ गई है और उसका हार्ट फेल हो गया है। कुछ ही देर में उन्हें बेटी की मौत की सूचना दे दी गई।
स्कूल बनाम अस्पताल: जिम्मेदारी से बचने की कोशिश
मामले में अब आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो चुका है।
स्कूल प्रबंधन ने सीधा आरोप शैल्बी अस्पताल पर लगाते हुए कहा है कि बच्ची की मौत अस्पताल की लापरवाही से हुई। उनका दावा है कि बच्ची होश में थी, पिता से बात कर रही थी और स्कूल में गिरने के बाद गंभीर चोट जैसी कोई बात सामने नहीं आई थी। स्कूल ने यह भी कहा कि घटना के पूरे सीसीटीवी फुटेज मौजूद हैं, जिन्हें जांच एजेंसियों को सौंपा जाएगा।
वहीं, शैल्बी अस्पताल इस पूरे मामले में अब तक खामोश है। अस्पताल प्रशासन ने अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया, जिससे संदेह और गहराता जा रहा है।
पुलिस जांच जारी, कई पहलुओं से उठ रहे हैं सवाल
फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट, स्कूल के सीसीटीवी फुटेज और अस्पताल की मेडिकल रिपोर्ट से ही यह तय हो पाएगा कि यह वाकई एक दुर्घटना थी या फिर किसी की लापरवाही से एक मासूम की जिंदगी खत्म हो गई।
इस घटना ने एक बार फिर हमारे स्कूल सिस्टम, आपातकालीन चिकित्सा प्रबंधन और जवाबदेही पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जब तक आर्ची की मौत की पूरी सच्चाई सामने नहीं आती, तब तक यह मामला न तो स्कूल के लिए बंद होगा और न ही उस पिता के लिए, जिसकी बच्ची अब कभी स्कूल नहीं लौटेगी।