Jabalpur news: हर-हर महादेव से गूंजा जबलपुर, प्रदेश की सबसे बड़ी संस्कार कांवड़ यात्रा का भव्य आग़ाज़, लाखों श्रद्धालुओं ने लिया भाग

दैनिक सांध्य  बन्धु जबलपुर । धार्मिक आस्था, सामूहिक ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ जबलपुर की धरती सोमवार को ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से गूंज उठी। मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित संस्कार कांवड़ यात्रा का भव्य शुभारंभ आज सुबह 6 बजे नर्मदा तट स्थित गौरी घाट से हुआ। हजारों कांवड़ियों की यह आस्था यात्रा लगभग 35 किलोमीटर का सफर तय करते हुए खमरिया स्थित कैलाशधाम मंदिर तक पहुंचेगी, जहां दोपहर में भगवान भोलेनाथ का नर्मदा जल से जलाभिषेक किया जाएगा।


इस वर्ष यात्रा के 15वें संस्करण में एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं की सहभागिता का अनुमान है। भीड़ और सुचारु व्यवस्था को देखते हुए जिला प्रशासन ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए हैं। कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना के निर्देश पर शहर के समस्त शासकीय एवं अशासकीय स्कूलों में अवकाश घोषित किया गया है, ताकि स्कूली बच्चों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

सुनियोजित यातायात और सख्त ध्वनि नियंत्रण

भारी जनसैलाब को देखते हुए प्रशासन ने शहर के प्रमुख मार्गों पर ट्रैफिक डायवर्जन लागू किया है। साथ ही ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। किसी भी झांकी या मंच पर दो से अधिक साउंड बॉक्स की अनुमति नहीं होगी। 12 इंच से बड़े स्पीकर व 50 डेसिबल से अधिक ध्वनि पर रोक रहेगी। हॉर्न स्पीकर और धार्मिक भावना को आहत करने वाले गीतों पर भी पाबंदी रहेगी।

यह व्यवस्थाएं सिर्फ अनुशासन नहीं, बल्कि शहर के धार्मिक सौहार्द और सांप्रदायिक शांति को बनाए रखने की ओर एक जिम्मेदार कदम हैं।

एक संकल्प, एक पौधा’ की मिसाल

इस यात्रा की विशेषता केवल धार्मिक नहीं, पर्यावरणीय भी है। संस्कार कांवड़ यात्रा की पहचान बन चुकी ‘एक संकल्प, एक पौधा’ मुहिम के तहत हर श्रद्धालु एक पौधा लेकर चलता है, जिसे कैलाशधाम की पहाड़ियों में रोपा जाता है। वर्षों के इस सामूहिक प्रयास ने बंजर पहाड़ी को हरियाली की ओढ़नी पहना दी है। यह अभियान न केवल एक अनूठा पर्यावरण संदेश है, बल्कि अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए अनुकरणीय मॉडल भी।

भक्ति, भव्यता और भागीदारी का संगम

गौरी घाट से शुरू होकर यात्रा रेत नाका, रामपुर चौक, शंकराचार्य चौक, शास्त्री ब्रिज, बड़ा फुहारा, बेलबाग, रांझी होते हुए दोपहर लगभग 3 बजे कैलाशधाम पहुंचेगी। बच्चे, महिलाएं, बुज़ुर्ग सभी ने उत्साह से इस यात्रा में भाग लिया।

संस्कार कांवड़ यात्रा अपने भव्य आयोजनों और जनभागीदारी के लिए गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है। इस बार यात्रा समर्थ सद्गुरु भैया जी सरकार और रामू दादा सहित कई संतों के सान्निध्य में संपन्न हो रही है, जिससे इसका आध्यात्मिक महत्व और अधिक बढ़ गया है।

यह यात्रा केवल भक्ति का पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और सामूहिक एकता का उत्सव बनकर उभरी है। संस्कारों की इस यात्रा ने यह सिद्ध कर दिया है कि श्रद्धा जब संकल्प से जुड़ती है, तो वह समाज को दिशा देने वाला आंदोलन बन जाती है।

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