दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। मध्यप्रदेश के आदिम जाति कल्याण विभाग में पदस्थ रहे वरिष्ठ अधिकारी और वर्तमान में सागर जिले के प्रभार पर कार्यरत डिप्टी कमिश्नर जगदीश सर्वटे पर आर्थिक अनियमितताओं और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों के चलते आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने मंगलवार सुबह बड़ी कार्रवाई की। जबलपुर स्थित शंकर शाह नगर में उनके शासकीय आवास, अधारताल के निजी निवास और भोपाल में स्थित एक अन्य ठिकाने पर एक साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया।
सूत्रों के अनुसार, ईओडब्ल्यू को जगदीश सर्वटे के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायतें लंबे समय से मिल रही थीं। प्राथमिक जांच के बाद मंगलवार सुबह करीब 6 बजे डीएसपी स्वर्णजीत सिंह धामी के नेतृत्व में जबलपुर और भोपाल में उनके निवास स्थलों पर छापे मारे गए। ईओडब्ल्यू की टीम ने दस्तावेज, बैंक खातों की जानकारी, नगदी, आभूषण, और अन्य संपत्ति संबंधी सबूतों को खंगालना शुरू किया।
दो मकान, बैंक लॉकर, निवेश की भी हो रही जांच
EOW की टीम को अब तक जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार सर्वटे के पास अधारताल क्षेत्र में एक निजी मकान और भोपाल में भी एक संपत्ति है। टीम दोनों स्थानों पर उनकी संपत्ति, निवेश और चल-अचल संपत्तियों का ब्यौरा इकट्ठा कर रही है। इसके अलावा सर्वटे और उनके परिजनों के नाम दर्ज बैंक खातों, लॉकर और अन्य वित्तीय दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है।
दस्तावेजों की जांच जारी, हो सकती हैं और भी गिरफ्तारियां
EOW अधिकारी स्वर्णजीत सिंह धामी ने बताया कि फिलहाल दस्तावेजों की प्रारंभिक जांच की जा रही है। कई अहम दस्तावेज टीम के हाथ लगे हैं जिनमें अचल संपत्तियों की खरीदी, लोन ट्रांजेक्शन और निवेश की जानकारियां शामिल हैं। दस्तावेजों की पुष्टि के बाद यह तय होगा कि आगे किन लोगों की भूमिका इसमें संदिग्ध मानी जा सकती है।
बीते 15 दिन पहले तक थे जबलपुर में पदस्थ
जगदीश सर्वटे कुछ ही समय पहले तक जबलपुर में आदिम जाति कल्याण विभाग के संभागीय उपायुक्त के रूप में कार्यरत थे। हाल ही में उनका स्थानांतरण सागर किया गया था, लेकिन उन पर लगे गंभीर आरोपों के चलते EOW की नजरें काफी समय से उन पर बनी हुई थीं।
आगे की कार्रवाई पर टिकी नजरें
ईओडब्ल्यू की टीम जब्त किए गए दस्तावेजों का विस्तृत विश्लेषण करने के बाद तय करेगी कि इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाएगी या नहीं। संभावना जताई जा रही है कि यदि संपत्ति और आय के अनुपात में भारी अंतर पाया गया तो सर्वटे के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।