दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जिले में दूध और पनीर की बढ़ती मांग के बीच मिलावटी उत्पादों की बिक्री लगातार बढ़ रही है। जिले में दूध का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है और इसे अन्य शहरों और प्रदेशों में भी भेजा जाता है। इसके बावजूद खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा किए गए सैपलिंग और जांच में दूध के 4 और पनीर के 8 सैपल में गड़बड़ी पाई गई, जिसमें फैट निर्धारित मानक से कम पाया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि शहर में बड़े पैमाने पर मिलावटी दूध और पनीर बेचे जाने की आशंका है। इस स्थिति से न केवल उपभोक्ताओं की सेहत प्रभावित हो सकती है, बल्कि खाद्य सुरक्षा के नियमों की भी अनदेखी हो रही है।
जबलपुर में प्रतिदिन लगभग 14 हजार किलो पनीर का उत्पादन हो रहा है, जबकि खपत लगभग 20 हजार किलो प्रतिदिन है। यानी उत्पादन क्षमता से 6 हजार किलो पनीर ज्यादा खपत हो रहा है। इस अंतर से यह सवाल उठता है कि अतिरिक्त पनीर किस प्रकार बन रहा है। विशेषज्ञों और उपभोक्ता संगठन का मानना है कि इस अतिरिक्त पनीर में मिलावट की संभावना अधिक है।
शहर की डेयरियों और उनके काउंटर पर दूध और सह-उत्पादों की नियमित जांच का कोई ठोस इंतजाम नहीं है, जिससे उपभोक्ताओं की सुरक्षा खतरे में है।
उपभोक्ता संगठन की मांग: छापामार कार्रवाई हो
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पी. जी. नाज पांडे ने प्रशासन से अपील की है कि डेयरियों में दूध और सह-उत्पादों की गुणवत्ता जांच नियमित रूप से हो। उन्होंने सुझाव दिया कि 2014-2016 के बीच जैसी संयुक्त छापामार कार्रवाई की गई थी, वैसी ही कार्रवाई एक बार फिर से की जाए। इसका उद्देश्य दूध और सह-उत्पादों में मिलावट रोकना और कीमतों को नियंत्रित करना होना चाहिए।
दूध की स्थिति: उत्पादन और आपूर्ति
शहर और ग्रामीण क्षेत्र में कुल दूध उत्पादन: 9 लाख लीटर
मध्यम व बड़े आकार की डेयरी: लगभग 150
आसपास के महानगरों में दूध की आपूर्ति: 55 हजार लीटर
घरों में आपूर्ति: लगभग 7.50 लाख लीटर
निजी कंपनियों में संग्रहण: 50 हजार लीटर से अधिक
दूध से बने सह-उत्पाद (दही, आइसक्रीम, पनीर) उत्पादन: 45 हजार लीटर
विशेषज्ञ और उपभोक्ता संगठन दोनों ही प्रशासन से प्रभावी कदम उठाने की मांग कर रहे हैं ताकि दूध और पनीर की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके और मिलावटी उत्पादों की बिक्री पर अंकुश लगाया जा सके।