दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। घमापुर निवासी 46 वर्षीय संतोष पटेल की लाश को पुलिस ने बिना सही शिनाख्त के ही पोस्टमार्टम कराकर दफना दिया। जब परिजनों ने सोशल मीडिया पर रेलवे ट्रैक से लाश उठाने और पंचनामा करते हुए कार्रवाई का वीडियो देखा तो वे थाने पहुंचे, तब जाकर सच्चाई सामने आई। बाद में पुलिस ने परिजनों की मौजूदगी में गढ़ा स्थित चौहानी मुक्तिधाम की कब्र से लाश निकलवाई और बेटे को अंतिम संस्कार करने दिया।
सुबह घर से निकले, लौटे नहीं – परिजनों ने खोजबीन की
मृतक संतोष पटेल, घमापुर के गोपाल होटल के पास रहते थे और दवा मार्केट में काम करते थे। 11 सितम्बर की सुबह वे अपने बच्चे को स्कूल छोड़कर घर से निकले थे, लेकिन शाम तक घर नहीं लौटे। परिवार को लगा कि शायद काम अधिक होने से देर हो रही होगी। लेकिन जब वे पूरी रात घर नहीं पहुंचे तो परिजन चिंतित हो गए। घमापुर पुलिस को सूचना दी गई, पुलिस ने तलाश का भरोसा दिया और परिजनों से कहा कि वे भी अपने स्तर पर खोजबीन करें।
दो दिन तक संतोष का कोई अता-पता नहीं चला। इस बीच परिजनों ने लगातार तलाश जारी रखी। तभी सोशल मीडिया पर रेलवे ट्रैक पर मिली एक लाश और पुलिस की कार्रवाई का वीडियो सामने आया। वीडियो में दिख रहे शरीर और कपड़े देखकर परिजनों को शक हुआ कि यह संतोष ही हो सकते हैं। वे तुरंत पतासाजी करते हुए रांझी थाने पहुंचे।
हम तो कल ही दफना आए : पुलिस
रांझी थाना पुलिस ने परिजनों को बताया कि बंदे भारत एक्सप्रेस की चपेट में आने से एक अज्ञात व्यक्ति की मौत हुई थी। शव को उठाकर पोस्टमार्टम कराया गया और पहचान न होने पर चौहानी मुक्तिधाम में दफना दिया गया। परिजनों ने वीडियो और कपड़ों के आधार पर मृतक की पहचान संतोष पटेल के रूप में की। इसके बाद पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में शनिवार सुबह कब्र से शव निकाला गया और परिजनों को सौंपा गया। बेटे ने पिता का अंतिम संस्कार किया।
इतनी जल्दबाजी में दफनाने की जरूरत क्यों पड़ी
मौके पर मौजूद लोगों ने सवाल खड़ा किया कि संतोष पटेल की लाश को इतनी जल्दबाजी में दफनाने की जरूरत क्यों पड़ी? सामान्य परिस्थितियों में अज्ञात शवों को पहचान के लिए मरचुरी में रखा जाता है और पुलिस जिला व आसपास के थानों को जानकारी भेजती है। संतोष का शव क्षतविक्षत भी नहीं था, फिर भी पहचान के हरसंभव प्रयास करने के बजाय जल्दबाजी में अंतिम संस्कार क्यों किया गया?
पुलिस अक्सर दावा करती है कि अज्ञात शव की शिनाख्त के लिए हरसंभव प्रयास किए जाते हैं। लेकिन इस मामले में वास्तविकता इसके विपरीत दिखाई दी। ट्रैक से शव उठाकर पोस्टमार्टम कराया गया और सीधे दफना दिया गया। परिजनों और परिचितों ने इस पर गंभीर आपत्ति जताई और कहा कि पुलिस की इस जल्दबाजी ने उन्हें दोहरी पीड़ा दी है।
संतोष पटेल के करीबी रिश्तेदार धर्मेंद्र पटेल ने बताया कि परिवार दो दिन तक उनकी तलाश में परेशान रहा। अगर पुलिस ने शव को मरचुरी में रखा होता तो परिजन समय रहते पहचान कर सकते थे और ऐसी स्थिति नहीं आती। परिजनों का कहना है कि उन्हें संतोष की मौत से अधिक दुख पुलिस की लापरवाही और असंवेदनशीलता ने दिया है।
