Jabalpur News: राशन घोटाले का खुलासा - 33 पर FIR, 2.20 करोड़ से अधिक का खाद्यान्न गबन

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। शहर में राशन दुकान संचालकों और शासकीय कर्मचारियों की मिलीभगत से हुए अब तक के सबसे बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। करीब ₹2,20,12,460 मूल्य के खाद्यान्न में हेराफेरी कर उसे कालाबाज़ार में खपाने का मामला सामने आया है। इस घोटाले में 11 राशन दुकानों के 29 संचालक और 4 शासकीय कर्मचारी शामिल पाए गए हैं। सभी 33 आरोपियों के खिलाफ क्राइम ब्रांच थाना जबलपुर में FIR दर्ज कराई गई है।

हाईकोर्ट में खुला मामला

यह मामला तब सामने आया जब याचिका क्रमांक 14701/2023 और 20270/2023 में जबलपुर नगर निगम क्षेत्र की राशन दुकानों का स्टॉक एडजस्टमेंट मुद्दा बना। जांच के दौरान पता चला कि NIC हैदराबाद की रिपोर्ट में पीओएस मशीन पोर्टल से अवैध तरीके से स्टॉक घटाने की पुष्टि हुई।

जांच में खुलासा

391.780 MT गेहूं, 338.789 MT चावल, 3.027 MT नमक और 0.97 MT शक्कर का स्टॉक कम किया गया।

यह हेराफेरी स्टेट एडमिन लॉगिन और दो आईपी एड्रेस (27.56.249.185 व 157.34.236.76) से की गई।

इन आईपी एड्रेस का उपयोग जबलपुर नगर निगम क्षेत्र की यूज़र आईडी jso_2363702 और jso_23637 से हुआ।

स्टॉक घटाने का फायदा सीधे तौर पर राशन दुकान संचालकों को मिला, लेकिन इसकी तकनीकी एक्सेस केवल शासकीय कर्मचारियों के पास थी।

शासकीय लापरवाही भी उजागर

जांच में पाया गया कि भारी स्टॉक गायब होने के बावजूद तत्कालीन जिला आपूर्ति नियंत्रक और कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। इससे उनकी मिलीभगत साफ हो गई।

आरोपी कौन-कौन?

FIR में दर्ज 33 लोगों में शामिल हैं:

29 राशन दुकान संचालक व अध्यक्ष – जैसे आकाश नेचलानी, गुंजन वेदी, नीता तिवारी, किरण जायसवाल, आयूष चौधरी, इमरान मंसूरी, हामिद मंसूरी आदि।

4 शासकीय कर्मचारी – भावना तिवारी (कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी), सुचिता दुबे (कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी), अक्षय कुमार खरे (DPMU), नुजहत बानो बकाई (जिला आपूर्ति नियंत्रक)।

आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता 2023, मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश 2015 और आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।


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