दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। जबलपुर में नालों के सुधार और कवरिंग पर खर्च हुए 374 करोड़ रुपए आखिर कहां गए – यह सवाल अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) तक पहुंच गया है। अधिकरण की मुख्य पीठ ने ओमती और मोती नालों की दुर्दशा पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की, जिसमें नगर निगम जबलपुर (JMC) और अन्य विभागों को कठोर निर्देश दिए गए।
न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (अध्यक्ष) और डॉ. ए. सेंथिल वेल (विशेषज्ञ सदस्य) की बेंच ने कहा कि करोड़ों खर्च होने के बावजूद नाले मलबे से भरे हैं, जल प्रवाह बाधित है और अतिक्रमण ने स्थिति और बिगाड़ दी है।
निगम ने स्वीकारा अतिक्रमण, PWD के खंभों से भी रोका प्रवाह
नगर निगम ने यह स्वीकार किया कि मदान महल क्षेत्र में नालों के किनारे अवैध निर्माण और अतिक्रमण हुए हैं। निगम का दावा है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी है। वहीं, लोक निर्माण विभाग (PWD) ने पुल निर्माण के दौरान नाले के बीच में खंभे बनाए, जिससे जल प्रवाह प्रभावित हुआ। हालांकि विभाग ने सफाई दी कि अवरोधित हिस्से के लिए बायपास ड्रेन बनाई गई है।
नालों की सफाई व्यवस्था पर सवाल
नगर निगम ने बताया कि सफाई का काम मशीनों और मैनुअल दोनों तरीकों से किया जा रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कहती है — नालों की चौड़ाई घटने और पक्के निर्माण के कारण वर्षा ऋतु में जलभराव आम बात बन गई है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में खुलासे
CPCB ने बताया कि जबलपुर के अधिकांश घर सीवरेज नेटवर्क से नहीं जुड़े हैं, और गंदा पानी सीधे नालों में जा रहा है। शहर के STP की क्षमता 154.38 MLD है, लेकिन सिर्फ 58.74 MLD का ही उपयोग हो रहा है। MPPCB ने निरीक्षण में पाया कि फ्लाईओवर के खंभों से ओमती नाले का प्राकृतिक प्रवाह अवरुद्ध हो गया है। नालों की नियमित सफाई नहीं की जा रही, जिससे प्रदूषण और जलभराव बढ़ रहा है।
29 अप्रैल 2026 को अगली सुनवाई
अधिकरण ने कहा कि नगर निगम ने नालों के वास्तविक हालात, प्रवाह की मात्रा, गुणवत्ता और अतिक्रमणों की पूरी जानकारी पेश नहीं की। NGT ने आयुक्त नगर निगम जबलपुर को निर्देश दिया है कि सभी बिंदुओं पर विस्तृत तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करें और अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें। अगली सुनवाई की तारीख 29 अप्रैल 2026 तय की गई है।
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