दैनिक सांध्य बन्धु भोपाल। मध्यप्रदेश में जहरीली कोल्ड्रिफ कफ सिरप से दो दर्जन बच्चों की मौतों के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बड़ा हमला बोलते हुए डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल से इस्तीफे की मांग की। उन्होंने कहा कि 2 सितंबर से अब तक परासिया में डायथलीन ग्लायकॉल (DEG) से जहरीली साबित हुई कोल्ड्रिफ सिरप के कारण 26 बच्चों की मौत हो चुकी है, लेकिन सरकार अब तक जिम्मेदारी तय नहीं कर सकी।
दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी को दवा कंपनियों से इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए ₹945 करोड़ का चंदा मिला। इनमें से 35 फार्मा कंपनियों की दवाएं अमानक गुणवत्ता वाली पाई गईं। उन्होंने कहा — “यह सीधा-सीधा ‘चंदा दो, धंधा लो’ का खेल है। जिस सरकार ने बच्चों की जान लेने वाली कंपनियों से पैसा लिया हो, उससे इंसाफ की उम्मीद कैसे की जा सकती है?”
पूर्व सीएम ने कहा कि दवा में 0.1% तक DEG की अनुमति है, जबकि जहरीली सिरप में इसकी मात्रा 48.6% थी — यानी 486 गुना अधिक जहर। इसके बावजूद स्वास्थ्य मंत्री ने 2 अक्टूबर को इसे “सुरक्षित” बताकर क्लीन चिट दे दी। दिग्विजय ने कहा — “ऐसे व्यक्ति को मंत्री बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि जब मुख्यमंत्री राज्य स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सह-अध्यक्ष हैं, तो जहरीली दवा की बिक्री पर किसी ने रोक क्यों नहीं लगाई? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकारी संस्थाएं गुणवत्ता नियंत्रण में नाकाम रहीं और स्वास्थ्य विभाग ने निजी दवा कंपनियों की अनियमितताओं पर आंख मूंद ली।
कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि 2022 में गाम्बिया और 2023 में उज्बेकिस्तान में भारतीय सिरप से बच्चों की मौतों के बावजूद केंद्र ने ऐसे उत्पादों पर कोई रोक नहीं लगाई। दिग्विजय ने सवाल किया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने केवल 9% फैक्ट्रियों का निरीक्षण किया, जिनमें से 36% असफल रहीं। फिर भी सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या बीजेपी की फार्मा फंडिंग के कारण नियामक संस्थाओं पर दबाव था?
उन्होंने जन विश्वास अधिनियम 2023 के उस प्रावधान पर भी आपत्ति जताई, जिसमें अमानक दवा बनाने पर जेल की सजा हटाकर केवल 5 लाख रुपए जुर्माना तय किया गया। उन्होंने कहा कि यह फार्मा लॉबी को खुली छूट देने जैसा है।
दिग्विजय ने आगे कहा कि मुख्य सचिव, जो राज्य स्वास्थ्य समिति की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष हैं, ने भी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। उन्होंने CAG ऑडिट 2023 का हवाला देते हुए कहा कि मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेज कॉर्पोरेशन पर दवा खरीद में देरी और अतिरिक्त खर्च के आरोप पहले से हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट (3 अक्टूबर 2025), CDSCO सर्कुलर (4 अक्टूबर 2025) और नागपुर मेडिकल कॉलेज की ऑटोप्सी रिपोर्ट यह साबित करती हैं कि कफ सिरप में जहरीले रसायन की मात्रा जानबूझकर बढ़ाई गई थी।
अंत में दिग्विजय सिंह ने कहा यह केवल एक दवा कांड नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ अपराध है। बच्चों की मौतों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए, और स्वास्थ्य मंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।
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