दैनिक सांध्य बन्धु नई दिल्ली। देशभर में विशेष इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की तारीखों का ऐलान सोमवार को चुनाव आयोग करेगा। आयोग शाम 4:15 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया की रूपरेखा बताएगा। पहले चरण में 10 से 15 राज्यों में SIR की शुरुआत होगी — इनमें वे राज्य शामिल हैं जहां अगले एक साल के भीतर विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में मई 2026 तक विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए इन पर आयोग का खास फोकस रहेगा। वहीं जिन राज्यों में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, वहां SIR फिलहाल टाल दी गई है।
राज्य निर्वाचन अधिकारियों से दो दौर की बैठक
चुनाव आयोग ने हाल ही में सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) के साथ दो दौर की बैठक कर SIR की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया है। कई राज्यों ने अपनी पुरानी वोटर लिस्ट वेबसाइट पर अपलोड कर दी है।
दिल्ली में आखिरी बार 2008 में, उत्तराखंड में 2006 में SIR हुई थी, जबकि बिहार में हाल ही में वोटर वैरिफिकेशन पूरा हुआ और फाइनल डेटा 1 अक्टूबर को जारी किया गया।
मतदाता सूची अपडेट और विदेशी प्रवासियों की पहचान
आयोग के अनुसार SIR का मुख्य उद्देश्य दोहरे मतदाताओं को हटाना और केवल भारतीय नागरिकों को सूची में रखना है। इस बार खास जोर उन क्षेत्रों पर है जहां विदेशी अवैध प्रवासियों की संख्या अधिक बताई जाती है, जैसे — असम, बंगाल और तमिलनाडु।
2002 से 2004 के बीच हुई SIR में लगभग 70 करोड़ मतदाता दर्ज थे। अब देश में कुल 99 करोड़ 10 लाख मतदाता हैं, जिनमें से करीब 21 करोड़ को दस्तावेज देने होंगे।
बीएलओ घर-घर जाकर फॉर्म देंगे
बैठक में तय हुआ है कि ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLO) हर मतदाता के घर जाकर प्री-फिल्ड फॉर्म देंगे। इस प्रक्रिया में 31 दिसंबर तक 18 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले सभी नागरिकों को शामिल किया जाएगा।
बिहार में SIR को लेकर विवाद
बिहार में पिछले SIR के दौरान विवाद हुआ था। विपक्ष ने सरकार पर वोट चोरी का आरोप लगाया था, जिसे लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। हालांकि कोर्ट ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया को सही ठहराया था।
राहुल गांधी का EC पर हमला
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 18 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया था कि वे “लोकतंत्र को नष्ट करने वालों और वोट चोरों को बचा रहे हैं।”
राहुल ने कर्नाटक की आलंद सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस समर्थकों के वोट योजनाबद्ध तरीके से हटाए गए।
इससे पहले 7 अगस्त को भी राहुल ने दिल्ली में कहा था — “EC ने BJP के साथ मिलकर चुनाव चुराया है।”
क्यों अहम है यह रिवीजन
दो दशक बाद हो रही इस समीक्षा से मतदाता सूची में पारदर्शिता आने की उम्मीद है। तेजी से बढ़ते शहरीकरण और माइग्रेशन के कारण अब वोटर पहचान और सत्यापन पहले से अधिक जरूरी हो गया है।
आंध्र प्रदेश में 2003-04 में 5.5 करोड़ मतदाता थे, अब 6.6 करोड़ हैं। उत्तर प्रदेश में 2003 में 11.5 करोड़ थे, अब 15.9 करोड़। दिल्ली में भी 1.1 करोड़ से बढ़कर अब 1.5 करोड़ मतदाता हो चुके हैं।
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