दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। महाकौशल के सबसे बड़े अस्पताल नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज से मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां जरूरतमंद मरीजों को 4 से 5 हजार रुपए में खून बेचे जाने का घिनौना कारोबार चल रहा था।
शनिवार को एक सामाजिक संस्था ने इस रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए गिरोह के दो सदस्यों — अन्नू (लाल टी-शर्ट) और जॉनसन (पीली टी-शर्ट) को रंगे हाथों पकड़ा और गढ़ा थाना पुलिस के हवाले कर दिया।
रुपए दो, थोड़ी देर बाद ब्लड ले लो
संस्था के सदस्यों ने जरूरतमंद बनकर ब्लड की मांग की तो आरोपियों ने कहा पहले पैसे दो, कुछ देर में ब्लड मिल जाएगा।
कॉफी हाउस में दोनों ने ब्लड की एक यूनिट के ₹5000 मांगे। जब संस्था की महिला सदस्य ने अर्जेंट बताया तो रेट और बढ़ा दिया गया।
रंगे हाथों पकड़े गए अन्नू और जॉनसन
संस्था और मेडिकल की सुरक्षा टीम ने पहले ही दोनों की फोटो सुरक्षाकर्मियों को दे दी थी। जैसे ही सौदा तय हुआ, कॉफी हाउस के बाहर घेराबंदी कर दी गई।
दोनों आरोपी भागने की कोशिश में थे, लेकिन सुरक्षा गार्डों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।
गिरोह में 50 से अधिक लोग शामिल
संस्था के सदस्य राहुल तिवारी ने बताया यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय है। करीब 50 से ज्यादा लोग इस नेटवर्क में हैं, जो ब्लड बैंक और बाहरी स्रोतों से खून लाकर मरीजों के परिजनों को बेचते हैं।
ब्लड बैंक की भूमिका पर भी उठे सवाल
सीएसपी आशीष जैन ने बताया कि आरोपियों के ब्लड बैंक से संपर्क होने की जानकारी मिली है। जांच की जा रही है कि उन्होंने अब तक कितनों को खून बेचा और खून कहां से लाते थे।
डीन बोले — “गंभीर अपराध, कड़ी कार्रवाई होगी”
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. नवनीत सक्सेना ने कहा खून बेचने का यह कृत्य गंभीर अपराध है। किसी भी प्रकार की अवैध सौदेबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सुरक्षा एजेंसियों को ब्लड बैंक क्षेत्र में सख्त निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।
पहले भी पकड़े जा चुके सौदागर
यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी मेडिकल कॉलेज में खून का अवैध सौदा पकड़ा जा चुका है। बावजूद इसके गिरोह का नेटवर्क फिर सक्रिय हो गया, जिससे अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था और ब्लड बैंक की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
