दैनिक सांध्य बन्धु इंदौर। महू की अदालत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह माना है कि राघवी थाना उज्जैन में पदस्थ रहे टीआई स्वर्गीय रामचंद्र कोली की मौत हार्ट अटैक से नहीं, बल्कि सड़क दुर्घटना में आई गंभीर चोटों के कारण हुई थी। अदालत ने इंश्योरेंस कंपनी के सभी तर्कों को खारिज करते हुए टीआई के परिवार को ब्याज सहित लगभग 40 लाख रुपए का मुआवजा 30 दिन में देने का आदेश दिया है।
मामला 4 अगस्त 2008 का है, जब टीआई रामचंद्र कोली अपनी पत्नी कला के साथ कार से जा रहे थे। सांवेर रोड पर निर्माणाधीन जेल के पास उनकी कार एक ट्रक (एमपी-13 जीए-7354) से टकरा गई थी। हादसे में दोनों घायल हुए थे। टीआई को पहले अरविंदो और फिर बॉम्बे हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। परिवार ने दावा किया कि मौत दुर्घटना में आई गंभीर चोटों से हुई थी, जबकि इंश्योरेंस कंपनी ने मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मौत का कारण हार्ट अटैक था।
कोर्ट ने पाया कि दुर्घटना के दौरान टीआई सही दिशा और धीमी गति में वाहन चला रहे थे, जबकि सामने चल रहे ट्रक ने अचानक ब्रेक लगाए जिससे हादसा हुआ। जांच में यह भी साबित हुआ कि टीआई को पहले से कोई गंभीर बीमारी नहीं थी और अस्पताल की रिपोर्ट में उनके हार्ट के इलाज का कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं मिला। अदालत ने माना कि मौत का मुख्य कारण दुर्घटना में आई गंभीर चोटें थीं।
चार साल तक चले इस केस में इंश्योरेंस कंपनी, ट्रक ड्राइवर और मालिक को संयुक्त रूप से या अलग-अलग रूप से टीआई के परिवार को 34.59 लाख रुपए मुआवजा और 6% वार्षिक ब्याज सहित कुल लगभग 40 लाख रुपए अदा करने का आदेश दिया गया। साथ ही टीआई की पत्नी कला के घायल होने की पुष्टि के बाद उन्हें भी 2.09 लाख रुपए का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया।
टीआई के परिवार की ओर से एडवोकेट राजेश खंडेलवाल ने पैरवी की। उन्होंने बताया कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, अस्पताल रिकॉर्ड और प्रत्यक्षदर्शी पत्नी कला की गवाही ने यह साबित कर दिया कि टीआई की मौत सड़क दुर्घटना में हुई थी, न कि किसी हार्ट अटैक से। अदालत ने इसे मानते हुए परिवार को न्याय दिलाया।
