Jabalpur News: दल-बदल मामले में हाईकोर्ट सख्त, बीना विधायक निर्मला सप्रे और विस सभापति को नोटिस, 18 नवंबर तक मांगा जवाब

दैनिक सांध्य बन्धु जबलपुर। बीना विधायक निर्मला सप्रे की कथित दल-बदल की शिकायत पर दाखिल याचिका में हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार की याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सर्राफ की बेंच ने विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और विधायक सप्रे को नोटिस जारी करते हुए दोनों से जवाब मांगा है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को तय की है।

वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से विजयी हुईं निर्मला सप्रे पर आरोप है कि उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के कार्यक्रमों में मंच साझा किया और पार्टी से नजदीकियां बढ़ाईं। कांग्रेस ने इसे दल-बदल का स्पष्ट मामला बताते हुए उनकी सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी।

इस मामले में पहले इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की गई थी, जहां से क्षेत्राधिकार के आधार पर इसे जबलपुर मुख्य पीठ में स्थानांतरित किया गया।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने याचिका की वैधता पर आपत्ति जताई, जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा — “क्या विपक्ष का नेता याचिका नहीं लगा सकता?” अदालत ने महाधिवक्ता की आपत्ति खारिज करते हुए सभापति से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पाडी कौशिक रेड्डी बनाम तेलंगाना राज्य और केशम बनाम मणिपुर राज्य मामलों में दिए गए तीन माह में निर्णय करने के निर्देशों का पालन क्यों नहीं किया गया?

याचिकाकर्ता उमंग सिंघार ने आरोप लगाया है कि विधायक सप्रे ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, जो संविधान की दसवीं अनुसूची (दल-बदल निरोधक प्रावधान) का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में सभापति के समक्ष 16 माह पूर्व आवेदन दिया गया था, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया।

जब भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल से बीना विधायक की सदस्यता पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा मेरी पार्टी में 164 विधायक हैं, उनके नाम बता सकता हूं, लेकिन जिनकी बात आप कर रहे हैं, उनकी सदस्यता के बारे में वे खुद बेहतर बता पाएंगी कि वे किस पार्टी की हैं।

अब 18 नवंबर की सुनवाई में यह साफ होगा कि हाईकोर्ट इस दल-बदल विवाद में आगे क्या रुख अपनाता है।

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